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गुरुवार, 21 फ़रवरी 2008
गालिब
रोक लो गर गलत चले कोई
बक्श दो गर खता करें कोई
बक रहा हूँ जूनुन में क्या क्या कुछ
कुछ ना समझे खुदा करें कोई
जब तव्वकु ही उठ गयी गालिब
कौन किसी का गीला करें कोई
- गालिब
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